आज फिर याद आया वो बचपन...
आज फिर याद आया वो बचपन.
याद है उसको अभी भी, था एक उसका सपना, जहाँ जाए, माँ-पापा का नाम रोशन करके वो आये,
खेल हो,पढाई हो, आती थी वो अवल.
सब को खुश करदेती थी, चलदेति थी नई डगर!
अब सब बदल गया, याद आती है उसे सबकी,
आज भी वह खेलना, वह जोरसे हसकर -सबको हसाना,
वह माँ की प्यारी, पापा की सायानी, आज भी याद करती है अपना बचपन.
वो दिन अब लौटकलर वापस कभी न आएंगे,
कौन खिलायेगा उसको वह बैट-बॉल, कौन सिखाएेगा साइकिल चलाना,
और कौन जाएगा उसके साथ बाजार!
एक सयुंक्त परिवार की थी वो रहने वाली, जहाँ सबकी थी अपनी अपनी कहानी, तीन बहनो में वो सबसे बड़ी, जानती थी क्या है ज़िम्मेदारियों की छड़ी.
आज फिर याद आया वो बचपन.
याद है उसको अभी भी, था एक उसका सपना, जहाँ जाए, माँ-पापा का नाम रोशन करके वो आये,
खेल हो,पढाई हो, आती थी वो अवल.
सब को खुश करदेती थी, चलदेति थी नई डगर!
अब सब बदल गया, याद आती है उसे सबकी,
आज भी वह खेलना, वह जोरसे हसकर -सबको हसाना,
वह माँ की प्यारी, पापा की सायानी, आज भी याद करती है अपना बचपन.
वो दिन अब लौटकलर वापस कभी न आएंगे,
कौन खिलायेगा उसको वह बैट-बॉल, कौन सिखाएेगा साइकिल चलाना,
और कौन जाएगा उसके साथ बाजार!
सुबह से तैयारी में वो लगजाति थी,
पर अब सब बदल गया,
याद आता है वो बचपन!