Thursday, February 19, 2015

आज फिर याद आया वो बचपन...








आज फिर याद आया वो बचपन.


याद है उसको अभी भी, था एक उसका सपना, जहाँ जाए, माँ-पापा का नाम रोशन करके वो आये,
खेल हो,पढाई हो, आती थी वो अवल.

सब  को खुश करदेती थी, चलदेति थी नई डगर!


अब सब बदल  गया, याद आती है उसे सबकी,

आज भी वह खेलना, वह जोरसे हसकर -सबको हसाना,
वह माँ की प्यारी, पापा की सायानी, आज भी याद करती है अपना बचपन.

वो दिन अब लौटकलर वापस कभी न आएंगे,

कौन खिलायेगा उसको वह बैट-बॉल, कौन सिखाएेगा साइकिल चलाना,
और कौन जाएगा उसके साथ बाजार!


सुबह से तैयारी में वो लगजाति थी,
पर अब सब बदल गया,
याद आता है वो बचपन!