Thursday, September 25, 2014


वो नन्ही परी








सब कुछ पीछे छोड़ आई वो नन्ही परी ... 
वो नन्ही परी अपना सब कुछ छोड़ आई हैं. 
वह चहकना ,वह ख़ुशी और वह आज़ादी.
जिसने कभी, किसी से एक रूपया नहीं माँगा, आज वह अपनी कमाई का जरिया पीछे छोड़ आई है,





वो नन्ही परी अपना सब कुछ छोड़ आई हैं. 
इस दुनिया को समझने के लिए, वक़्त लगेगा उसको
नए रिश्तों की डोर को पिरोने में, बहुत समझदारी से कदम उठाने होंगे उसको,
वो सब संभाल लेगी,उसने वो सब अपनी माँ से सीखा है,
आज, वो नन्ही परी, अपना सब कुछ छोड़ आई है!




घर का  आँगन, चिड़ियों का वो सुबह-सुबह आकर पेड़ पे बैठकर चहकना,
वो गीली मीठी की खुशबू, वो उसके दादा की चाय,

वो पिता का कन्धा, वो माँ का प्यार,
वो नन्ही परी, अपना सब कुछ छोड़ आई है!


आज भी याद है उसको, वो गिर कर उठनाआज भी वह हाथ सर पे है उसके, एक दुआ बनकर,
शायद कुछ नहीं बदला, क्युकी वो माँ-पिता का आँगन था,
बस रिश्तें बदलगये,
और वो नन्ही परी, अपना सब कुछ छोड़ आई है!



एक उम्मीद है, के फिर खड़ी होगी,
वो इस दुनिया की महफ़िल में,
वो फिर गुनगुनायेंगी, अपने होने का गाना,
वो फिर बोलेगी के एक दिनमुट्ठीमें होगा,उसके ये जमाना,
वो नन्ही परी, अपना घर, रिश्तें, सपने, सब छोड़ आई है!